हमारे राजनेता जब सत्ता में नहीं रहते तब सत्ताधारी पक्ष के सारे कार्यों की आलोचना करने में इतना नीचे गिर जाते हैं वह आज देखने मे मिल रही है,और वही जब स्वयं सत्ता में आ जाते हैं तब स्तिथियों को कंट्रोल नहीं कर पाते तब उनके जवाब बड़े ही बेतुके होते हैं।आज हमारे भारत मे दिन ब दिन बढ़ रहे प्याज की कीमतों को लेकर चंद लाइने अर्पित कर रहा हूँ ताकि सत्ताधारी पक्ष कुछ करे और हमे निजात दिलाये
*।।प्याज की बढ़ती कीमत।।*
चाहनेवालों की संख्या अब हो रही चंद है,
भक्तों की बोलती अब न जाने क्यों बंद है।
जब थे विपक्ष में तब कोलाहल मचाते थे,
सत्ता पाकर आज मुद्दे से भूमिगत हो जाते हैं।
प्याज की बढ़ती कीमतों पर ना कोई कंट्रोल है,
बेतुके जवाब का मुहजबरी अब कैसा बोल है।
राजनीति के स्तर का कैसा अजब सार है,
प्याज की कीमत भारत मे 100 रु.के पार है।
हम प्याज नहीं खाते हैं,कहकर भी न लजाते है,
ऐसे लोग न जाने क्यों सदन में जाते हैं।
पाक के 80 के टमाटर को दिखाकर,
हमारा मीडिया हंगामा मचाता है।
चाटुकारिता की हद्द पार कर,
सत्ताधारी पक्ष को बचाता है।
प्याज की बढ़ती कीमतों से हमे हो रही पीड़ा है,
सत्ता पक्ष के न कार्यवाही से हो रही घृणा है।
अर्थव्यवस्था खुद सब कुछ बता रहा है,
भक्त लोग अभी भी हमदर्दी जता रहा है।
*मुकेश प्रजापति*
*( विरार )*
*( महाराष्ट्र )*